नूरू करीम से मिलिए! वह वास्तुकार जिन्होंने गुवाहाटी के नए एयरपोर्ट टर्मिनल को बना दिया ‘जीवंत वन’

नूरू करीम! वह वास्तुकार जिन्होंने गुवाहाटी के नए एयरपोर्ट टर्मिनल को बना दिया ‘जीवंत वन’


नूरू करीम, वह वास्तुकार जिन्होंने भारत में हवाई अड्डों की कल्पना को एक नई दिशा दी है। गुवाहाटी एयरपोर्ट के नए टर्मिनल–2 को उन्होंने ऐसे रूप में ढाला है, जिसे लोग आज एक “लिविंग फॉरेस्ट” यानी जीवंत वन के रूप में पहचान रहे हैं।

असम की प्राकृतिक विरासत से प्रेरित यह टर्मिनल अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया है। गुवाहाटी एयरपोर्ट के टर्मिनल–2 को इंटरनेशनल आर्किटेक्चरल अवॉर्ड 2025 से सम्मानित किया गया है।

नूरू करीम द्वारा डिजाइन किया गया यह टर्मिनल स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) और यात्रियों के मानसिक व शारीरिक आराम को केंद्र में रखकर तैयार किया गया है। इसकी वास्तुकला में फॉक्सटेल ऑर्किड, स्थानीय बांस और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के बाढ़ क्षेत्र के प्राकृतिक परिदृश्य की झलक साफ दिखाई देती है। यह कोई भारी-भरकम कंक्रीट संरचना नहीं, बल्कि ऐसा डिज़ाइन है जिसमें प्रकृति ही आकार, सामग्री और गति को दिशा देती है जहां वास्तुकला और पर्यावरण साथ-साथ सांस लेते हैं।

टर्मिनल की सबसे खास पहचान है बांस का व्यापक उपयोग। यह नवीकरणीय और स्थानीय सामग्री है, जिसे स्काइलाइट्स के साथ जोड़ा गया है ताकि प्राकृतिक रोशनी अंदर तक पहुंचे। खुले स्थान, हरित क्षेत्र और तथाकथित “स्काई फॉरेस्ट” न केवल तापमान को स्वाभाविक रूप से नियंत्रित करते हैं, बल्कि यात्रियों को एक शांत, प्रकृति से जुड़ा अनुभव भी देते हैं जो आमतौर पर व्यस्त हवाई अड्डों से जुड़ा नहीं होता।

सौंदर्य के साथ-साथ यह परियोजना स्मार्ट और टिकाऊ डिजाइन सिद्धांतों पर भी आधारित है। बेहतर वायु प्रवाह, कृत्रिम रोशनी पर कम निर्भरता और जलवायु के अनुरूप योजना से ऊर्जा की खपत में उल्लेखनीय कमी आती है। टर्मिनल की लेआउट यात्रियों के तनाव को कम करने और सुगम आवागमन को ध्यान में रखकर बनाई गई है, जिससे यह संदेश मजबूत होता है कि बुनियादी ढांचा केवल संचालन के लिए नहीं, बल्कि मानव सुविधा के लिए भी होना चाहिए।

इंटरनेशनल आर्किटेक्चरल अवॉर्ड 2025 की जूरी ने इस परियोजना को इस बात का उदाहरण बताया कि बड़े सार्वजनिक ढांचे भी आधुनिक कार्यक्षमता से समझौता किए बिना पर्यावरणीय जिम्मेदारी निभा सकते हैं। इस सम्मान के साथ गुवाहाटी एयरपोर्ट उन चुनिंदा वैश्विक हवाई अड्डों की सूची में शामिल हो गया है, जिन्हें नवोन्मेषी और पर्यावरण-संवेदनशील वास्तुकला के लिए पहचाना गया है।

नूरू करीम मुंबई स्थित आर्किटेक्चर फर्म NU.DE (नूरू करीम डिज़ाइन एस्टैब्लिशमेंट) के संस्थापक और प्रमुख वास्तुकार हैं। वे मुंबई की एकेडमी ऑफ आर्किटेक्चर के पूर्व छात्र हैं और अपने प्रयोगधर्मी, शोध-आधारित दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं, जिसमें वास्तुकला, इंटीरियर डिजाइन और लैंडस्केप सोच का समन्वय होता है।

अपने करियर में करीम ने सांस्कृतिक स्थलों, आतिथ्य परियोजनाओं, प्रदर्शनियों और बड़े सार्वजनिक ढांचों सहित कई तरह की परियोजनाएं डिजाइन की हैं। वे वेनिस आर्किटेक्चर बिएनाले जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और समकालीन भारतीय वास्तुकला में योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और वैश्विक पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं।

गुवाहाटी एयरपोर्ट का टर्मिनल–2 न केवल क्षमता विस्तार का प्रतीक है, बल्कि असम के विकास दर्शन का भी एक सशक्त बयान है। यह परियोजना दिखाती है कि आधुनिक बुनियादी ढांचा प्रकृति को जीतने के बजाय उससे सीख सकता है, उसके साथ विकसित हो सकता है और उस भूमि की सांस्कृतिक व पर्यावरणीय पहचान को प्रतिबिंबित कर सकता है, जिसकी वह सेवा करता है।

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