भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुसार, सितंबर के अंत तक बैंकों का सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) अनुपात घटकर 2.1% पर आ गया है, जो कई दशकों में सबसे निचला स्तर है। वहीं, शुद्ध एनपीए भी घटकर केवल 0.5% रह गया है।
बैंकों का मुनाफा लगातार सातवें वर्ष बढ़ते हुए 14.7% की वृद्धि के साथ 4,01,180 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इसी अवधि में बैंकों की बैलेंस शीट भी 11.2% की बढ़ोतरी के साथ 312.2 लाख करोड़ रुपये हो गई, जिसे मजबूत कर्ज वसूली, लिखत-बट्टा और दोहरे अंकों की क्रेडिट ग्रोथ का समर्थन मिला।
यह प्रगति ऐसे समय सामने आई है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में अर्थशास्त्रियों और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट पूर्व बैठक की, जिसमें सुधारों और केंद्रीय बजट 2026-27 पर चर्चा हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि 2018 के आसपास जहां एनपीए करीब 11% तक पहुंच गया था, वहीं दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (IBC) जैसे सुधारात्मक कदमों की वजह से इसमें ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है।
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