देहरादून के त्रिपुरा के 24 वर्षीय MBA छात्र अंजेल चकमा की उत्तराखंड के देहरादून में नस्लीय हमले के बाद अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। अंजेल जिग्यासा यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे थे और उनके पिता बीएसएफ कॉन्स्टेबल हैं।
घटना 9 दिसंबर 2025 को देहरादून के सेलकुई क्षेत्र में हुई। अंजेल अपने छोटे भाई माइकल चकमा के साथ सब्ज़ी खरीदने गए थे, तभी एक समूह ने उन्हें उनके रंग-रूप और पहचान के आधार पर “नेपाली”, “चाइनीज़”, “चिंकी” और “मॉमोज़” जैसी नस्लीय टिप्पणियां दी। विरोध करने पर आरोपियों ने अंजेल को गर्दन और पेट में चाकू से कई वार किए, जबकि उनके भाई माइकल के सिर पर प्रहार कर उन्हें बेहोश कर दिया।
अंजेल को ICU में भर्ती कराया गया और उन्होंने 17 दिन तक जीवन संघर्ष किया, लेकिन शुक्रवार तड़के उन्होंने दम तोड़ दिया। पुलिस ने अब तक इस मामले में 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है अविनाश नेगी, शौर्य राजपूत, सूरज खवास, आयुष बडोनी और सुमित, जो सभी प्रभावशाली परिवारों से जुड़े हैं।
घटना ने देश में पूर्वोत्तर भारतीयों के खिलाफ नस्लवाद और भेदभाव की गंभीर समस्या को उजागर कर दिया है। घटना के बाद Tipra Motha Party प्रमुख प्रद्युत किशोर देबबर्मा समेत कई नेताओं और सामाजिक समूहों ने कड़ी निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी सज़ा की मांग की है।
यह मामला समाज में समानता, सुरक्षा और न्याय के महत्व को दोबारा सामने लाता है और पुलिस से प्रभावशाली कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।
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