कर्नाटक के हाले निंगापुर और बिसराल्ली के सरकारी स्कूलों से सामने आए वीडियो ने अक्षरा दासोहा मिड-डे मील योजना की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वीडियो में बच्चों के लिए पकाए जाने वाले चावल में सफ़ेद कीड़े साफ़ तौर पर दिखाई दे रहे हैं। यह योजना रोज़ाना लगभग 2.8 लाख से अधिक बच्चों को भोजन उपलब्ध कराती है, जिसका उद्देश्य बच्चों के पोषण स्तर को बेहतर बनाना और स्कूल में उनकी उपस्थिति बढ़ाना है।
जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने शुरुआती जांच में कहा है कि चावल के लंबे समय तक भंडारण के कारण उसमें कीड़े लग गए होंगे। अधिकारियों का दावा है कि सप्लाई चेन में कहीं न कहीं लापरवाही हुई है। मामले में संबंधित स्कूल के एक हेडमास्टर को नोटिस जारी किया गया है और यह स्पष्ट किया गया है कि भविष्य में ऐसी चूक बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
घटना के बाद चावल और तैयार भोजन के सैंपल तुरंत प्रयोगशाला जांच के लिए भेजे गए हैं। अधिकारियों ने कहा है कि रिपोर्ट आने के बाद ज़िम्मेदारी तय की जाएगी। फिलहाल किसी भी बच्चे के बीमार पड़ने की सूचना नहीं है, लेकिन एहतियात के तौर पर प्रभावित स्कूलों में उस दिन का भोजन रोक दिया गया।
केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए राज्य सरकार से तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं किया जा सकता और मिड-डे मील जैसी योजना में गुणवत्ता नियंत्रण सबसे ज़रूरी है। उन्होंने राज्य स्तर पर व्यापक जांच और सख़्त निगरानी तंत्र लागू करने की बात कही।
घटना के बाद अभिभावकों में भी ग़ुस्सा और चिंता है। उनका कहना है कि यह सिर्फ़ एक-दो स्कूलों की समस्या नहीं हो सकती और पूरे ज़िले में चावल की खरीद, भंडारण और वितरण व्यवस्था का ऑडिट होना चाहिए। कई अभिभावकों ने मांग की है कि दोषी ठेकेदारों और अधिकारियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाए।
शिक्षा विभाग ने आश्वासन दिया है कि गोदामों की स्थिति, स्टोरेज अवधि और परिवहन प्रक्रिया की दोबारा समीक्षा की जाएगी। साथ ही, स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं कि भोजन पकाने से पहले अनाज की पूरी तरह जांच की जाए, ताकि भविष्य में बच्चों को किसी भी तरह का जोखिम न हो।
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