असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 20 दिसंबर को राजधानी एक्सप्रेस से टकराने के बाद सात हाथियों की मौत पर गहरा दुख जताया है। इस दर्दनाक हादसे में हाथियों का एक झुंड ट्रेन की चपेट में आ गया था।
सोशल मीडिया पर जारी बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार इस वन्यजीव क्षति से “गहराई से व्यथित” है। उन्होंने वन विभाग को घटना की विस्तृत जांच करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, विशेषकर कम दृश्यता वाले मौसम में, वन्यजीव कॉरिडोरों की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
शनिवार तड़के असम के नगांव जिले में वन्यजीव और रेल अवसंरचना के बीच एक भयावह टक्कर हुई, जिसमें सात जंगली हाथियों की जान चली गई और एक तेज़ रफ्तार यात्री ट्रेन पटरी से उतर गई। इस घटना ने एक बार फिर पूर्वोत्तर में विकास और संरक्षण के नाज़ुक संतुलन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह हादसा पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (NFR) के लमडिंग डिवीजन के अंतर्गत जमुनामुख-कंपूर खंड में हुआ, जब सैरंग-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस हाथियों के एक झुंड से टकरा गई। टक्कर के बाद इंजन सहित ट्रेन के पांच कोच पटरी से उतर गए। रेलवे अधिकारियों ने पुष्टि की है कि इस दुर्घटना में कोई यात्री घायल नहीं हुआ।
स्थानीय लोगों और वन विभाग के अनुसार, झुंड में करीब आठ हाथी थे, जिनमें वयस्क और शावक शामिल थे। हादसे में तीन वयस्क और चार शावकों समेत सात हाथियों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक शावक गंभीर रूप से घायल हुआ, जिसे इलाज के लिए पशु चिकित्सकीय देखभाल में भेजा गया है।
दुर्घटनास्थल गुवाहाटी से लगभग 126 किलोमीटर दूर है और यह इलाका रेलवे लाइन के पास हाथियों की आवाजाही के लिए जाना जाता है।
दुर्घटना के बाद राहत ट्रेनों, वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों और आपातकालीन दलों को मौके पर भेजा गया। मलबा हटाने और क्षतिग्रस्त ट्रैक की मरम्मत का काम कई घंटों तक चला। वन विभाग की टीमें भी नुकसान का आकलन करने और घायल शावक के इलाज में सहायता के लिए पहुंचीं।
रेलवे सूत्रों के मुताबिक, हाथियों के शव, क्षतिग्रस्त कोच और बिखरा मलबा होने के कारण ऊपरी असम और अन्य पूर्वोत्तर क्षेत्रों की रेल कनेक्टिविटी पर लंबे समय तक असर पड़ा।
राजधानी एक्सप्रेस के यात्रियों को अस्थायी रूप से अन्य कोचों में खाली बर्थ पर स्थानांतरित किया गया। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि गुवाहाटी पहुंचने पर अतिरिक्त कोच जोड़े जाएंगे, ताकि सभी यात्रियों को आरामदायक यात्रा मिल सके, जिसके बाद ट्रेन नई दिल्ली के लिए रवाना होगी।
इस घटना ने असम में रेलवे पटरियों पर हाथियों की मौत के मामलों को लेकर नई चिंता पैदा कर दी है। संरक्षणवादियों का कहना है कि गति प्रतिबंध, बेहतर चेतावनी प्रणाली और रेलवे-वन विभाग के बीच समन्वय को मजबूत किए बिना ऐसी घटनाओं को रोका नहीं जा सकता।
जांच शुरू होने के साथ ही यह हादसा एक बार फिर याद दिलाता है कि भारत के सबसे जैव-विविध क्षेत्रों में से एक में अवसंरचना विकास और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाना कितना जरूरी है।
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