नए बांग्लादेश में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं! यूनुस सरकार ने हिंदू युवक की लिंचिंग की निंदा की

नुस सरकार ने हिंदू युवक की लिंचिंग की निंदा की

बांग्लादेश में छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद भड़के हिंसक प्रदर्शनों के बीच ब्लास्फेमी (धर्मनिंदा) के आरोप में एक हिंदू युवक की पीट-पीटकर हत्या किए जाने की घटना की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने कड़ी निंदा की है। सरकार ने साफ कहा है कि “नए बांग्लादेश में इस तरह की हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है” और इस जघन्य अपराध में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।

मृतक की पहचान दीपू चंद्र दास के रूप में हुई है, जो एक युवा हिंदू गारमेंट फैक्ट्री कर्मचारी था। वह मयमनसिंह ज़िले के भालुका उपज़िला के डुबालिया पाड़ा इलाके में किराए पर रहता था। पुलिस के अनुसार, स्थानीय लोगों के एक समूह ने उस पर पैग़म्बर मोहम्मद के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया और गुरुवार रात करीब 9 बजे उस पर हमला कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।

ढाका की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया, “हम मयमनसिंह में एक हिंदू युवक की पिटाई और हत्या की घटना की गहराई से निंदा करते हैं। नए बांग्लादेश में इस प्रकार की हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। इस क्रूर अपराध में शामिल किसी भी व्यक्ति को छूट नहीं दी जाएगी।”

अंतरिम सरकार ने नागरिकों से सभी प्रकार की हिंसा के खिलाफ सतर्क रहने की अपील करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं ‘कुछ अलग-थलग आतंकवादी समूहों’ द्वारा अंजाम दी जा रही हैं। बयान में हिंसा, डर, आगज़नी और तोड़फोड़ की घटनाओं की कड़े शब्दों में निंदा की गई। सरकार ने कहा कि बांग्लादेश इस समय एक ऐतिहासिक लोकतांत्रिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है और अराजकता फैलाने की किसी भी कोशिश को देश की शांति की राह में बाधा नहीं बनने दिया जाएगा।

यह लिंचिंग ढाका में उस समय हुई, जब छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद राजधानी में हिंसा भड़क उठी थी। हादी ने पिछली सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभाई थी और वह शेख हसीना विरोधी तथा भारत विरोधी रुख के लिए जाने जाते थे। सरकार ने कहा कि हादी के बलिदान का सम्मान तभी होगा, जब लोग संयम, जिम्मेदारी और घृणा व हिंसा को लगातार खारिज करें।

यूनुस प्रशासन ने हालिया अशांति के दौरान द डेली स्टार, प्रोथोम आलो और न्यू एज  के पत्रकारों और कर्मचारियों पर हुए हमलों को लेकर भी एकजुटता व्यक्त की। बयान में कहा गया, “द डेली स्टार, प्रोथोम आलो और न्यू एज के पत्रकारों से हम कहना चाहते हैं हम आपके साथ हैं। आपने जो आतंक और हिंसा झेली है, उसके लिए हम गहराई से माफी मांगते हैं। आतंक के सामने भी आपके साहस और धैर्य को देश ने देखा है। पत्रकारों पर हमला, सच्चाई पर हमला है। हम आपको पूर्ण न्याय का भरोसा दिलाते हैं।”

बांग्लादेश में होने वाले आम चुनाव से महज दो महीने पहले, देश एक बार फिर अशांति की चपेट में आ गया है। कट्टरपंथी छात्र संगठन इंक़िलाब मंचा के प्रवक्ता और जुलाई 2024 के आंदोलन के प्रमुख चेहरे शरीफ उस्मान हादी की गुरुवार को मौत हो गई। उन्हें 12 दिसंबर को अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी।

हादी की मौत के बाद हजारों समर्थक सड़कों पर उतर आए और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए प्रदर्शन शुरू हो गए। ये प्रदर्शन जल्द ही हिंसा में बदल गए, जिनमें आगज़नी और उन संस्थानों पर हमले शामिल थे, जिन्हें पूर्व सरकार या विदेशी हितों से जुड़ा माना जाता है।

ढाका में उग्र भीड़ ने देश के प्रमुख अख़बारों प्रोथोम आलो और द डेली स्टार के दफ्तरों में आग लगा दी, जिससे दर्जनों पत्रकार इमारतों के भीतर फंस गए। प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान के आवास और कई सांस्कृतिक केंद्रों को भी निशाना बनाया।

इस अशांति में भारत-विरोधी स्वर भी तेज़ हो गए हैं। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि हादी के हत्यारे भारत भाग गए हैं और वे ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग को बंद करने की मांग कर रहे हैं।

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