वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में कर्मचारियों के बकाया भुगतान को लेकर उत्पन्न विवाद के कारण दैनिक भोग अर्पण की प्रक्रिया प्रभावित हुई। ठेकेदार मयंक गुप्ता के अधीन काम करने वाले हलवाई ने भुगतान रुकने के चलते चारों समय के भोग बनाना बंद कर दिया। मयंक गुप्ता को चार दैनिक भोगों के लिए प्रति माह 80,000 रुपये का भुगतान किया जाता है।
मंदिर के सेवायत पुजारी दिनेश गोस्वामी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए ठेकेदार से जवाब तलब किया और भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न उत्पन्न हो, इसके लिए तत्काल भुगतान करने के निर्देश दिए।
यह घटना उस समय सामने आई है, जब अगस्त 2025 से सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एक समिति मंदिर प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाल रही है। इस समिति की अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस अशोक कुमार कर रहे हैं। समिति को मंदिर में लंबे समय से चले आ रहे प्रबंधन विवादों के बीच नियुक्त किया गया था और इसका उद्देश्य अत्यधिक भीड़, दर्शन व्यवस्था और संचालन से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना है।
19वीं सदी के इस मंदिर की जड़ें 16वीं सदी की परंपराओं से जुड़ी हैं, जहां प्रतिदिन लगभग 5 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान रहता है। भोग अर्पण में आई यह चूक मंदिर की परंपराओं को बनाए रखने और भारी भीड़ के बीच सुचारु व्यवस्था सुनिश्चित करने के बीच जारी तनाव को उजागर करती है।
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