डिपु चंद्र दास की हत्या के विरोध में दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर विश्व हिंदू परिषद (VHP), बजरंग दल और अन्य हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया। यह विरोध उस समय हिंसक हो गया जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड्स गिरा दिए और सुरक्षा बलों से झड़प हुई।
प्रदर्शन से पहले हालात को देखते हुए मिशन के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी। तीन स्तरों में बैरिकेडिंग की गई थी और करीब 15,000 पुलिस व अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया था। इसके बावजूद सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश सरकार के खिलाफ नारे लगाए और तख्तियां लहराईं। भीड़ को रोकने के लिए डीटीसी बसें भी खड़ी की गईं। पुलिस के अनुसार, प्रदर्शनकारियों को उच्चायोग से करीब 800 मीटर पहले रोक लिया गया।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि डिपु दास की बेरहमी से पिटाई कर हत्या की गई और वे दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
गौरतलब है कि 18 दिसंबर को 25 वर्षीय गारमेंट फैक्ट्री कर्मचारी डिपु दास पर कथित रूप से ईशनिंदा का आरोप लगाया गया था। आरोप है कि उसे नौकरी से निकालने के बाद एक भीड़ के हवाले कर दिया गया, जहां उसकी पिटाई के बाद हत्या कर दी गई। इस मामले में अब तक कम से कम 12 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
इस विरोध पर बांग्लादेश सरकार ने कड़ा ऐतराज जताया है और भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब किया है। ढाका के विदेश मंत्रालय ने कहा कि राजनयिक प्रतिष्ठानों के खिलाफ इस तरह की हिंसा न केवल कर्मियों की सुरक्षा को खतरे में डालती है, बल्कि शांति और आपसी सम्मान के सिद्धांतों के भी खिलाफ है। मंत्रालय ने भारत से राजनयिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।
दिल्ली के अलावा कोलकाता में भी बांग्लादेश विरोधी प्रदर्शन हुए हैं। इसके चलते ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है। मिशन के आसपास सशस्त्र पुलिस तैनात की गई है और बांग्लादेशी सेना ने मुख्य द्वारों के बाहर बख्तरबंद वाहन लगाए हैं।
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