असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के एक बयान ने राज्य की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि एक “मियाँ मुस्लिम” व्यक्ति ने उनसे कहा था कि वह जरूरत पड़ने पर अपनी किडनी तक दे सकता है, लेकिन अपना वोट नहीं देगा। यह टिप्पणी मुख्यमंत्री ने राज्य में जनसांख्यिकीय बदलाव और चुनावी राजनीति के संदर्भ में कही।
मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि यह कथन यह दर्शाता है कि कुछ समुदायों का राजनीतिक झुकाव स्पष्ट रूप से तय है और सरकार की नीतियाँ वोट बैंक की राजनीति के बजाय राज्य के दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं। उन्होंने दोहराया कि उनकी सरकार विकास, कानून-व्यवस्था और असम की सांस्कृतिक पहचान की रक्षा पर केंद्रित है, न कि केवल चुनावी समर्थन हासिल करने पर।
मुख्यमंत्री के इस बयान पर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि इस तरह की टिप्पणियाँ समाज में विभाजन को बढ़ावा देती हैं और संवेदनशील मुद्दों पर जिम्मेदारी से बोलने की जरूरत है। विपक्षी नेताओं ने मुख्यमंत्री से बयान पर स्पष्टीकरण देने की मांग भी की।
वहीं, सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने मुख्यमंत्री का बचाव करते हुए कहा कि बयान को संदर्भ से अलग कर पेश किया जा रहा है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री असम में अवैध घुसपैठ और जनसांख्यिकीय असंतुलन जैसे मुद्दों पर लगातार आवाज उठाते रहे हैं और उनका उद्देश्य राज्य के हितों की रक्षा करना है।
यह बयान ऐसे समय पर आया है जब असम में आगामी चुनावों को लेकर राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो रही हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की टिप्पणियाँ चुनावी विमर्श को और धार दे सकती हैं और आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासी बयानबाजी और तेज होने की संभावना है।
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