गुवाहाटी शहर की कई ऊँची आवासीय और व्यावसायिक इमारतों में अग्नि सुरक्षा मानकों का खुलेआम उल्लंघन सामने आया है। अधिकारियों के अनुसार, शहर के भीड़भाड़ और घनी आबादी वाले इलाके आग की घटनाओं के लिहाज से सबसे अधिक संवेदनशील बने हुए हैं।
अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवा विभाग द्वारा किए गए निरीक्षणों में पाया गया कि अनेक इमारतों में फायर एक्सटिंग्विशर, स्मोक डिटेक्टर, फायर अलार्म सिस्टम और आपातकालीन निकास मार्ग जैसी बुनियादी सुविधाएँ या तो मौजूद नहीं हैं या फिर काम करने की स्थिति में नहीं हैं। कई ऊँची इमारतों में आपातकालीन सीढ़ियों को अवरुद्ध या बंद पाया गया, जिससे किसी भी आपदा की स्थिति में लोगों की सुरक्षित निकासी मुश्किल हो सकती है।
अधिकारियों ने बताया कि संकरी सड़कों, अवैध निर्माण और पास-पास बनी इमारतों के कारण भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में दमकल वाहनों को घटनास्थल तक पहुँचने में भारी दिक्कत होती है। इससे आग पर काबू पाने और बचाव कार्य में देरी होती है, जो जान-माल के लिए गंभीर खतरा बन सकती है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार, निर्माण के समय अग्नि सुरक्षा नियमों की अक्सर अनदेखी की जाती है और इमारत चालू होने के बाद नियमित सुरक्षा ऑडिट भी नहीं कराए जाते। कुछ मामलों में भवन मालिकों और निवासियों को अग्नि सुरक्षा नियमों और आपातकालीन प्रक्रियाओं की जानकारी तक नहीं होती।
अधिकारियों ने यह भी चेतावनी दी है कि गर्मी के मौसम में बिजली की अधिक खपत, ओवरलोडिंग और खराब वायरिंग के कारण आग लगने का खतरा और बढ़ जाता है। अग्नि सुरक्षा नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर जुर्माना, इमारत सील करने और कानूनी कार्रवाई जैसे कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
गुवाहाटी मेट्रोपॉलिटन विकास प्राधिकरण (GMDA) और अग्निशमन विभाग ने शहर भर में निरीक्षण अभियान तेज करने और नियमों का उल्लंघन करने वालों को नोटिस जारी करने की बात कही है। साथ ही, भवन प्रबंधन समितियों और नागरिकों से अग्नि सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता देने और जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लेने की अपील की गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक सख्त निगरानी और जन-जागरूकता सुनिश्चित नहीं की जाती, तब तक गुवाहाटी की ऊँची इमारतें और भीड़भाड़ वाले इलाके बड़े अग्निकांड के खतरे से जूझते रहेंगे।
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