केरल के स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस-नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) त्रिशूर नगर निगम में दोबारा सत्ता में लौटने की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। मतगणना के रुझानों से साफ है कि यूडीएफ ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को यहां उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली।
त्रिशूर नगर निगम चुनाव को इस बार खास अहमियत दी जा रही थी, क्योंकि केंद्रीय मंत्री और त्रिशूर से सांसद सुरेश गोपी के नेतृत्व में भाजपा ने यहां आक्रामक प्रचार किया था। पार्टी को उम्मीद थी कि सुरेश गोपी की लोकप्रियता का फायदा उसे स्थानीय निकाय चुनाव में मिलेगा, लेकिन नतीजों से संकेत मिलता है कि तथाकथित ‘सुरेश गोपी लहर’ जमीन पर प्रभाव नहीं छोड़ सकी।
प्रारंभिक नतीजों के अनुसार, यूडीएफ ने कई अहम वार्डों में बढ़त बनाई, जबकि भाजपा सीमित सीटों तक सिमटती नजर आई। सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) भी इस मुकाबले में पिछड़ता दिख रहा है, जिससे उसे शहरी क्षेत्रों में झटका लगा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मतदाताओं ने संसदीय चुनाव और स्थानीय निकाय चुनाव के बीच स्पष्ट अंतर किया है। स्थानीय मुद्दों, नागरिक सुविधाओं और नगर प्रशासन से जुड़े सवालों ने इस चुनाव में बड़ी भूमिका निभाई, जिससे यूडीएफ को फायदा मिला।
त्रिशूर नगर निगम के नतीजों को आगामी विधानसभा चुनावों के लिहाज से भी अहम संकेत माना जा रहा है। यूडीएफ की संभावित वापसी से विपक्ष का मनोबल बढ़ने की उम्मीद है, वहीं भाजपा और एलडीएफ के लिए यह नतीजा अपनी शहरी रणनीति पर दोबारा विचार करने का संकेत माना जा रहा है।
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