त्रिपुरा छात्र एंजेल चकमा की मेडिकल रिपोर्ट में बेरहमी के चौंकाने वाले खुलासे

मेडिकल रिपोर्ट में बेरहमी के चौंकाने वाले खुलासे

देहरादून में 9 दिसंबर को त्रिपुरा के छात्र एंजेल चकमा पर हुए हमले की मेडिकल रिपोर्ट ने चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं। नस्लवादी टिप्पणियों का विरोध करने पर एंजेल को बेहद क्रूर तरीके से पीटा गया था। इलाज के दौरान 14 दिन तक जीवन-मरण की लड़ाई लड़ने के बाद उसकी मृत्यु हो गई। इस मामले में पुलिस अब तक पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है।

मेडिकल दस्तावेजों के अनुसार, एंजेल के मस्तिष्क में रक्तस्राव (ब्रेन ब्लीडिंग) हुआ था। सिर की गंभीर चोट के साथ-साथ उसके हाथ-पैरों पर कई गहरे और धारदार प्रहार के निशान मिले हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि उसकी रीढ़ की हड्डी को गंभीर क्षति पहुँची थी, जिससे शरीर के दाहिने हिस्से में गति और प्रतिक्रिया लगभग समाप्त हो गई थी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना पर शोक जताते हुए एंजेल के पिता तरुण प्रसाद चकमा से फोन पर बात की और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया। एंजेल के पिता सीमा सुरक्षा बल (BSF) में कार्यरत हैं। सीएम ने पुष्टि की कि गिरफ्तार आरोपियों में 22 वर्षीय सूरज खवास और उसके चार अन्य साथी शामिल हैं। सूरज मूल रूप से मणिपुर का रहने वाला था और देहरादून में रह रहा था। पुलिस को संदेह है कि एक अन्य आरोपी नेपाल भाग गया है, जिसकी तलाश जारी है। उसकी सूचना देने पर इनाम की घोषणा भी की गई है।

हमले के समय एंजेल अपने भाई माइकल चकमा के साथ सेलाकुई बाजार में मौजूद था। परिवार के अनुसार, हमलावरों ने दोनों भाइयों पर नस्लीय आधार पर टिप्पणी की थी, जिसका एंजेल ने विरोध किया और यही विवाद हिंसक हमले में बदल गया।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस घटना को “भयावह घृणा-आधारित अपराध” बताते हुए कहा कि समाज में नफरत को लगातार गैर-जिम्मेदार विमर्श और ऑनलाइन सामग्री के जरिए पोषित किया जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत सम्मान, एकता और विविधता की नींव पर खड़ा देश है, और किसी भी नागरिक को उसके मूल, पहचान या भाषा के आधार पर निशाना बनाना देश की मूल भावना के विपरीत है।

गांधी ने यह भी कहा कि समाज को ऐसी घटनाओं पर आंखें बंद नहीं करनी चाहिए, बल्कि आत्ममंथन और एकजुट प्रतिक्रिया जरूरी है ताकि देश प्रेम, समावेश और आपसी सम्मान की दिशा में आगे बढ़ सके।

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