भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली में आवारा कुत्तों को हटाने से जुड़े नए नियमों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 7 जनवरी 2026 तक के लिए टाल दी है। यह मामला ऐसे समय सामने आया है, जब स्कूलों, अस्पतालों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों के हमलों में तेज़ी आई है, जिनके चलते खासकर बच्चों के बीच रेबीज से मौत के मामले सामने आए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवेदनशील और प्रमुख क्षेत्रों से आवारा कुत्तों को हटाने से पहले उनका नसबंदी और टीकाकरण अनिवार्य होगा, और इसके बाद ही उन्हें शेल्टर होम में स्थानांतरित किया जा सकता है। अदालत ने इस फैसले में नागरिकों के जीवन के अधिकार का हवाला दिया।
हालांकि, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकीलों ने दलील दी कि यह व्यवस्था पशु कल्याण कानूनों का उल्लंघन है, क्योंकि दिल्ली में लगभग 10 लाख आवारा कुत्तों के लिए पर्याप्त शेल्टर सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
देशभर में हर साल औसतन 20,000 कुत्ते काटने की घटनाएं दर्ज होती हैं, जिनमें अधिकांश रेबीज के मामले आवारा कुत्तों से जुड़े होते हैं। अगली सुनवाई से पहले दोनों पक्ष अदालत के समक्ष वीडियो साक्ष्य पेश करने की तैयारी कर रहे हैं, ताकि जन-सुरक्षा और करुणा से जुड़े पहलुओं को उजागर किया जा सके।
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